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पहले ऑडिशन के लिए मंदिर से चुराए 100 रुपए: गंजापन रोकने के लिए सिर पर ऊंट का पेशाब लगाते थे अनुपम खेर, पढ़िए मजेदार किस्से


3 दिन पहलेलेखक: ईफत कुरैशी

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7 मार्च 1955, आज से ठीक 69 साल पहले।

शिमला की कंपकंपाती ठंड में रात के करीब 9 बजे थे, जब हर कोई रेडियो पर आकाशवाणी प्रोग्राम का इंतजार कर रहा था। प्रोग्राम शुरू होते ही अनाउंसमेंट हुई, आप सुन रहे हैं आकाशवाणी, इतने में लेडी रीडिंग अस्पताल के डिलीवरी रूम में बच्चे के रोने की आवाज आई।

उस कमरे में दुलारी खेर ने बेटे को जन्म दिया। पत्नी का हाल लेने कुछ देर बाद फॉरेस्ट डिपार्टमेंट में क्लर्क की नौकरी करने वाले पुष्कर नाथ खेर कमरे में आए और फिर पीछे से नर्स दाखिल हुई। मां ने बच्चे का चेहरा देखा तो उसकी आंखें नम हो गईं। इतने में पास खड़ी नर्स ने उनसे अंग्रेजी में पूछा, मिसेज खेर, इज दिस योर फर्स्ट चाइल्ड (क्या ये आपका पहला बच्चा है), मिसेज खेर को अंग्रेजी नहीं आती थी, तो वो जवाब के लिए अपने पति को देखने लगीं।

उनके पति ने अकड़कर जवाब दिया, यस, बट वाय (हां, लेकिन क्यों)।

नर्स ने फिर मिसेज खेर को देखकर अंग्रेजी में कहा, मिसेज खेर, यू आर जस्ट 19, यू वुड हैव मेनी चिल्ड्रन (आप सिर्फ 19 साल की हैं, आपके तो कई और बच्चे होंगे)।

मिसेज खेर ने फिर पति को देखा और उन्होंने जवाब दिया, यस, बट वाय।

तब नर्स ने कहा, मिसेज खेर, आई डोंट हैव एनी चाइल्ड, केन आई एडॉप्ट योर सन (मेरे कोई बच्चे नहीं हैं, क्या मैं आपका बच्चा गोद ले लूं)।

अंग्रेजी नर्स की बात सुनकर मिस्टर एंड मिसेज खेर दंग रह गए, लेकिन उन्होंने बच्चा नहीं दिया। इस वाकये के सालों बाद यही बच्चा आज अनुपम खेर नाम से देशभर में जाना जाता है। ये किस्सा खुद उन्होंने आप की अदालत में बड़े गर्व से सुनाया और कहा, ‘मैं जन्म के चंद मिनटों बाद ही डिमांड में आ गया था।’

मां दुलारी खेर की गोद में नन्हे अनुपम खेर।

आज अनुपम खेर 69 साल के हो चुके हैं। उनके जन्मदिन के खास मौके पर पढ़िए गरीबी में पले-बढ़े अनुपम खेर के फिल्मों में आने के मजेदार किस्से-

14 लोगों के साथ एक कमरे के घर में गुजारा करते थे अनुपम
अनुपम खेर के पेरेंट्स कश्मीरी थे। भारत-पाक के बंटवारे के बाद कश्मीर के हालात बिगड़ने लगे और वहां कश्मीरी पंडितों को मारा और भगाया जाने लगा। दंगों के बीच ही अनुपम खेर के माता-पिता कश्मीर से शिमला आकर बस गए थे, जहां अनुपम खेर का जन्म हुआ। अनुपम को घरवाले प्यार से बिट्टू बुलाते हैं।

बड़े-बड़े अभिनेताओं के लिए कहा जाता है कि वो एक्टिंग का गुर लेकर पैदा हुए थे, लेकिन अनुपम खेर के साथ ऐसा नहीं हुआ। शिमला में कश्मीरी पंडितों के परिवार में जन्मे अनुपम खेर का बचपन बेहद गरीबी में बीता। पिता की तनख्वाह महज 90 रुपए थी और एक कमरे के घर में रहने वाले लोग थे 14। पढ़ाई के लिए अनुपम का एडमिशन शिमला के DAV स्कूल में करवाया गया था।

अनुपम पांचवी क्लास में थे, जब उनका पहली बार मंच से सामना हुआ। स्कूल के कल्चरल प्रोग्राम में पृथ्वीराज चौहान पर एक प्ले होना था। अनुपम अपनी क्लास में सबसे गोरे थे, तो उन्हें प्ले में पृथ्वीराज चौहान का रोल दिया गया। वो बेहद दुबले-पतले थे, वहीं जयचंद के रोल में उनके साइज से 5 गुना बड़े नंदकिशोर को लिया गया।

स्क्रिप्ट के अनुसार, अनुपम को नंदकिशोर को उठाकर फेंकना था, लेकिन ऐसा मुमकिन नहीं था। जब नाटक शुरू हुआ तो स्टेज पर ही अनुपम की रिक्वेस्ट पर नंदकिशोर दो बार गिर गया, लेकिन जब तीसरी बार अनुपम ने कहा, गिर जा, तो ऑडियंस में बैठे नंदकिशोर के पिता खड़े हुए और चिल्लाए, नंदकिशोर अगर अब गिरे तो घर मत आना। ये सुनते ही नंदकिशोर को ना जाने क्या हुआ, उसने अनुपम को उठाया और ऑडियंस में फेंक दिया। और इस तरह उनका पहला स्टेज प्ले बुरी तरह फ्लॉप रहा।

अनुपम खेर (लेफ्ट), कजिन और बड़े भाई राजू खेर (राइट) के साथ।

अंग्रेजी नाटक में गिड़गिड़ाने से मिला काम, डायलॉग न आने पर मंच पर ही रोने लगे
हिंदी मीडियम स्कूल में पढ़ने वाले अनुपम के एक अंग्रेजी टीचर हरदर्शन हुआ करते थे। वो हमेशा से ही एक अंग्रेजी प्ले का सपना देखा करते थे। उस साल अंग्रेजी मीडियम में फेल होने वाले कुछ 7-8 बच्चों ने उनकी क्लास में एडमिशन लिया तो हरदर्शन सर ने शेख्सपियर की मर्चेंट ऑफ वेनिस कहानी पर प्ले करने का फैसला किया। उस प्ले में अनुपम को क्लर्क ऑफ द कोर्ट का रोल मिल गया, जो जज के लिखे ऑर्डर को कोर्ट में सुनाता था। जब ड्रेस रिहर्सल हुई तो अनुपम ने 8 लाइन्स में 27 गलतियां कीं।

उस प्ले को देखने डिप्टी कमिश्नर समेत कई बड़े लोग आने वाले थे, तो गड़बड़ के डर से सर ने अनुपम को प्ले से निकाल दिया।

ये सुनते ही अनुपम गिड़गिड़ाने लगे और पांव पकड़कर कहा, मुझे प्ले से मत निकालिए, मेरे घरवाले प्ले देखने आएंगे, अगर मैं प्ले में नहीं हुआ, तो मेरी बहुत बेइज्जती हो जाएगी।

टीचर मान गए, लेकिन अनुपम के सभी डायलॉग जज का रोल प्ले करने वाले लड़के को दे दिए गए और कहा गया कि तुम सिर्फ सिर हिलाना।

अगले दिन जब प्ले शुरू हुआ, तो जज बने लड़के ने सबके सामने कहा कि क्लर्क ऑफ द कोर्ट, अब सभी ऑर्डर सुनाएगा। अनुपम को तो अंग्रेजी डायलॉग याद ही नहीं थे, तो वो घबराए हुए चुपचाप सिर हिलाने लगे। जज ने फिर कहा, क्लर्क ऑफ द कोर्ट ऑर्डर सुनाएगा। ये सुनकर घबराहट में अनुपम ने रोना शुरू कर दिया और कहा, प्रिंसिपल सर ने कहा तुम्हें कुछ नहीं बोलना सिर्फ सिर हिलाना है।

ये देखते ही बैकस्टेज खड़े सर ने इशारे में कहा कि पढ़ो, तो अनुपम ने टूटी-फूटी अंग्रेजी में कहा, यू साला शायलॉक, व्हॉट डू यू थिंक ऑफ योरसेल्फ यार (तुम खुदको क्या समझते हो), यू वॉन्ट मनी, मैं जूता उठाकर मारूंगा।

यही वो पल था जब मर्चेंट ऑफ वेनिस प्ले देखने शांत बैठी ऑडियंस का हंस-हंसकर बुरा हाल हो गया और पूरा ऑडिटोरियम तालियों और ठहाकों से भर गया। इस प्ले में सबसे ज्यादा तारीफें अनुपम को ही मिली थीं।

बचपन से सिनेमा प्रेमी रहे, फिल्म देखते हुए थामा था लड़की का हाथ, घर आया लव लेटर
अनुपम खेर को बचपन से ही फिल्मों का बड़ा शौक था। पूरे शिमला में उन दिनों महज 4 सिनेमाघर हुआ करते थे, जहां फिल्म देखने वालों की भीड़ लगती थी। उन चार थिएटर्स में अनुपम का होना पक्का हुआ करता था। ज्यादातर फिल्में दारा सिंह और मनोज कुमार की होती थीं।

एक दिन अनुपम मनोज कुमार की फिल्म उपकार देखने पहुंचे थे। जैसे ही फिल्म में हीरो ने हीरोइन का हाथ पकड़ा, तो अनुपम ने साथ बैठी लड़की का हाथ पकड़ लिया। हालांकि, अनुपम खेर बताते हैं कि ये हरकत उन्होंने जानबूझकर की थी। खैर, फिल्म खत्म हुई और दोनों अपने-अपने घर को चल दिए।

अगले दिन घर में बैठे हुए थे कि अचानक उस लड़की ने अपने छोटे भाई के हाथ से एक लव लेटर भिजवाया। उस लड़की ने भाई से कहा था कि जवाब लेकर ही आना।

उस लव लेटर में लिखा था, प्रिय अनुपम, जबसे मैंने तुमको देखा है, ना रातों में नींद है ना दिन में चैन।

अनुपम खेर ने भी जवाब भेजा और इस तरह दोनों के बीच खतों का सिलसिला शुरू हो गया। एक दिन अनुपम ने लड़की को भेजने के लिए कुछ तस्वीरें क्लिक करवाई थीं। वो तस्वीर खतों के साथ रखी ही थीं कि मां के हाथ उनके सारे लव लेटर लग गए। घर में जमकर पिटाई हुई और इस तरह अनुपम की पहली मोहब्बत अधूरी रह गई।

वैसे पिटाई का ये कोई पहला मामला नहीं था। मां दुलारी, अनुपम की जमकर पिटाई करती थीं। कभी 3 पैसे के लिए कपड़े उतारकर पीटा और घर से बाहर खड़ा किया, तो कभी बिच्छू घास से इतना पीटा कि डॉक्टर के पास जाने की नौबत आ गई।

पहली फिल्म में भीड़ बनकर शामिल हुए थे अनुपम खेर
DAV स्कूल से पढ़ाई पूरी करने के बाद अनुपम खेर ने संजोली के गवर्नमेंट कॉलेज में इकनॉमिक्स से ग्रेजुएशन करने के लिए दाखिला लिया था। कॉलेज के दिनों में वो नाटकों का हिस्सा बना करते थे। एक दिन शिमला में फिल्म उम्र कैद की शूटिंग हुई, जिसमें विनोद मेहरा, जितेंद्र, सुनील दत्त, रीना रॉय अहम किरदारों में थे। उस शूटिंग के लिए फिल्ममेकर्स को भीड़ में खड़े होने वाले लोगों की जरूरत थी। ऐसे में एक आदमी अनुपम खेर को ढूंढते हुए कॉलेज आ गया। अनुपम को सेट पर ले जाया गया, लेकिन उन्हें कोई काम नहीं दिया गया।

फिल्म उम्र कैद का पोस्टर।

वो रोज सेट पर जाते और एक किनारे बैठ जाते थे। शूटिंग खत्म कर जब अनुपम बाहर आते थे, तो हर कोई पूछता था कि अंदर क्या हुआ, तो अनुपम सबसे कहते थे, मुझे मेन रोल दिया गया है। जितेंद्र जी, तो मेरे हाथों से ही खाना खाते हैं। असरानी साहब मेरे जोक्स पर हंस-हंसकर लोट-पोट हो जाते हैं। मैं गाने में भी हूं। ये सारे झूठ अनुपम अपनी इज्जत बचाने के लिए बोलते थे।

एक दिन अनुपम अपने दोस्तों के साथ सैर पर निकले थे कि अचानक फिल्म के सभी बड़े कलाकार सामने से आते दिखे। अनुपम के दोस्तों ने उनसे कहा, अरे देखो, तुम्हारे दोस्त आ रहे हैं।

अनुपम घबरा गए क्योंकि उन्होंने आज तक किसी से बात तक नहीं की थी। घबराए हुए अनुपम डर-डर के कदम बढ़ा ही रहे थे कि असरानी की उन पर नजर गई और उन्होंने पूछा, अरे कैसे हो। असरानी ने शायद अनुपम को सेट पर बैठे देखा होगा और उनकी याददाश्त ने उस दिन अनुपम की इज्जत बचा ली।

एक दिन सेट पर अनुपम खेर की मुलाकात एक्टर किशन धवन से हुई। उन्होंने कहा कि मुझे भी पुणे के फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया में एडमिशन लेना है। मेरे सिलेक्शन के लिए किसी से बात कर दीजिए। उन्होंने जवाब में अपने बेटे दिलीप धवन का जिक्र किया और कहा कि मैं उसे एडमिशन दिलवाऊंगा। तुम्हारी मदद नहीं कर सकता।

फिल्म उम्र कैद कुछ महीनों बाद जब रिलीज हुई, तो अनुपम खेर को डर था कि फिल्म देखकर हर कोई समझ जाएगा कि उन्हें कोई रोल नहीं दिया गया था। उन दिनों पहले फिल्म बड़े शहरों में लगती थी और 5 महीने बाद शिमला में। अनुपम के सभी दोस्त वो फिल्म देखने चंडीगढ़ पहुंच गए, लेकिन उनके साथ उनका पूरा कॉलेज भी गया हुआ था। अनुपम ने चुपके से मॉर्निंग शो में फिल्म देखी और इज्जत बचाने के लिए कहा, मेरा रोल फिल्म से काट दिया गया है क्योंकि डायरेक्टर ने कहा है कि वो मुझे इस तरह भीड़ में खड़ा करके वेस्ट नहीं करना चाहते, वो मुझे स्टार बनाएंगे।

ऑडिशन देने के लिए मंदिर से चोरी किए 100 रुपए, घर आई थी पुलिस
कॉलेज के दिनों में ही अनुपम ने चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी में थिएटर कोटा से अप्लाय किया था। वो ग्रेजुएशन कर ही रहे थे कि उन्हें चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी में ऑडिशन के लिए बुलाया गया।

बुलावा तो आ गया, लेकिन इसके लिए उन्हें चंडीगढ़ जाकर एक ऑडिशन देना था। उनके पास चंडीगढ़ जाने के न पैसे थे, न गरीब पिता से इसकी डिमांड करने की हिम्मत। अपनी टिकट के पैसे जुगाड़ने का किस्सा अनुपम खेर ने संसद टीवी को दिए एक इंटरव्यू में सुनाया।

कॉलेज के दिनों में ली गई अनुपम खेर की तस्वीर।

एक दिन पैसों का जुगाड़ करने के लिए अनुपम घर में बने मंदिर में गए। उनकी मां उस मंदिर में रोज चवन्नी अठन्नी रखा करती थीं, जिससे वहां साल भर में 108 रुपए जमा हो चुके थे। अनुपम ने वहां से 100 रुपए चुराए और 8 रुपए मंदिर में ही छोड़ दिए।

अनुपम ने घरवालों को कहा कि वो दोस्तों के साथ पिकनिक जा रहे हैं और शाम को लौट आएंगे। उन्होंने सुबह बस पकड़ी चंडीगढ़ में ऑडिशन दिया और शाम तक घर लौट आए।

घर आए तो देखा घर में हंगामा मचा हुआ है। 100 रुपए की चोरी की शिकायत पुलिस में कर दी गई और घर में पुलिसवालों का जमावड़ा लगा हुआ था।

इस वाकये के 2 दिन बात अनुपम के पिता उनके पास आए और पूछा- चोरी वाले दिन तुम कहां गए थे?

पिता की सख्ती से अनुपम डर गए और सब सच बताते हुए कहा- मैं एक्टर बनने का इंटरव्यू देने चंडीगढ़ गया था।

उनकी बात सुनते ही कमरे में सन्नाटा छा गया। इतने में मां ने पूछा- तेरे पास पैसे कहां से आए?

अनुपम ने जैसे ही कहा- मैंने मंदिर से चुराए, तो मां ने बिना कुछ कहे सीधे जोरदार थप्पड़ जड़ दिया।

सब गुस्से में थे इसी बीच पिता भी उनकी तरफ आने लगे, अनुपम और डर गए।

ये देखते ही अनुपम गिड़गिड़ाते हुए कहने लगे- मुझे माफ कर दीजिए, मैं एक्टर नहीं बनूंगा, मैं चुपचाप फॉरेस्ट डिपार्टमेंट में क्लर्क बन जाऊंगा। मुझसे गलती हो गई है।

पिता ने तेज आवाज में कहा- चुप कर। तेरा सिलेक्शन हो गया है। उन्होंने हाथ में रखा लेटर अनुपम को दिखाया।

पीछे से मां ने गुस्से में कहा- मेरे 100 रुपए का क्या होगा?

पिता ने जवाब दिया- इसको 100 रुपए का स्टायपेंड मिलेगा, उसमें से 100 रुपए तुम रख लेना।

इस तरह 27 जुलाई 1974 को अनुपम खेर ने शिमला छोड़ दिया और चंडीगढ़ आकर डिपार्टमेंट ऑफ थिएटर से जुड़ गए।

एक साल के डिप्लोमा के बाद उन्होंने 3 साल तक नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से भी डिप्लोमा किया। पढ़ाई के बीच में ही 1979 में घरवालों ने अनुपम खेर की शादी मधुमालती कपूर से करवा दी। उनकी पत्नी ज्यादातर शिमला में ही रहती थीं, जबकि अनुपम पढ़ाई के सिलसिले में दिल्ली में रहा करते थे। कुछ समय बाद NSD में पढ़ते हुए अनुपम की मुलाकात किरण खेर से हुई। दोनों साथ पढ़ा करते थे, वहीं किरण भी शादीशुदा और एक बच्चे (सिकंदर खेर) की मां थीं। उनके पति गौतम बेरी एक बिजनेसमैन थे।

किरण खेर के साथ ली गई अनुपम खेर की तस्वीर।

37 रुपए लेकर मुंबई पहुंचे, एक महीने स्टेशन पर ही गुजारीं रातें
NSD में अनुपम खेर के साथ पढ़ने वाले सतीष कौशिक समेत कई स्टूडेंट मुंबई जाकर नाम कमा रहे थे। एक दिन उन्होंने अखबार में इश्तिहार पढ़ा कि मुंबई के एक एक्टिंग स्कूल में टीचर की जरूरत है, जहां नसीरुद्दीन शाह, ओम पुरी, शबाना आजमी भी टीचर हैं। अनुपम ने अप्लाय किया और उनका सिलेक्शन भी हो गया। वादा किया गया कि तनख्वाह 5 हजार रुपए होगी, रहने का ठिकाना भी दिया जाएगा।

1983 में हुए एक स्टेज प्ले के दौरान ली गई तस्वीर, जिसमें अनुपम खेर के साथ, सतीश कौशिक, आलोक नाथ, अरुण बख्शी नजर आ रहे हैं।

3 जून 1981 का दिन था, अनुपम अपना सामान बांधकर महज 37 रुपए जेब में रख सीधे मुंबई निकल पड़े। रहने का कोई ठिकाना नहीं था तो शुरुआती दिनों में रेलवे स्टेशन पर ही अखबार बिछाकर सो जाया करते थे। फिर जब पहली तनख्वाह मिली तो उन्होंने एक छोटा सा कमरा किराए पर ले लिया।

एक्टिंग टीचर होने के साथ-साथ अनुपम को कुछ पहचान वालों की मदद से फिल्मों में छोटा-मोटा रोल भी मिल जाया करता था। उनकी पहली फिल्म आगमन थी, जिसमें एक छोटे से रोल के लिए उन्हें 2 दिन में हजार रुपए मिले थे। आगे उन्होंने शीशे का घर और उत्सव में भी काम किया।

जब शादीशुदा अनुपम को हुआ किरण खेर से प्यार, शादी कर बेटे को दिया नाम
स्ट्रगल के दिनों में अनुपम खेर की मुलाकात दोबारा किरण खेर से हुई, जो फिल्मों में जगह बनाने के लिए संघर्ष कर रही थीं। इसी बीच दोनों को नादिरा बब्बर के प्ले चांदपरी की चंपाबाई में साथ काम मिला। दोनों प्ले करने के लिए कोलकाता गए थे, जहां अनुपम ने किरण को शादी का प्रस्ताव दे दिया। किरण ने झट से हामी भर दी और दोनों ने तलाक लेकर 1985 में शादी कर ली। अनुपम ने किरण खेर के बेटे सिकंदर को भी अपना लिया और उसे अपना सरनेम दिया। किरण और अनुपम की अपनी कोई संतान नहीं है।

अनुपम खेर और किरण की शादी के समय ली गई तस्वीर। इसमें अनुपम की मां दुलारी, पिता पुष्कर और भाई राजू भी नजर आ रहे हैं।

19 साल की उम्र में झड़ने लगे बाल, गंजापन रोकने के लिए लगाया था ऊंट का पेशाब
अनुपम खेर महज 19 साल के थे, जब उनके बाल झड़ने लगे। उनके पिता और चाचाजी ने भी कम उम्र में गंजेपन का सामना किया था, लेकिन हीरो बनने मुंबई पहुंचे अनुपम के लिए गिरते हुए बाल एक चिंता का विषय था। बाल इतनी तेजी से गिर रहे थे कि अनुपम कंघी करने से डरने लगे, पंखे के सामने खड़े होने से बचते थे और टैक्सी में विंडो हमेशा बंद रखते थे। बाल बचाने के लिए उन्होंने कई जड़ी-बूटियां इस्तेमाल की थीं। कभी 4-4 दिनों तक रीठा लगाकर रखते थे, तो कभी कोई नुस्खा अपनाया।

एक दिन किसी ने उनसे कह दिया कि ऊंट का पेशाब लगाने से बाल वापस आ जाते हैं। ऐसे में अनुपम एक प्लास्टिक की बोतल लेकर जुहू बीच पहुंच गए, जहां ऊंट हुआ करते थे। वो घंटों ऊंट के पीछे बोतल लेकर खड़े रहते थे। आखिरकार वो ऊंट की पेशाब इकट्ठा करने में कामयाब रहे। उन्होंने कई दिनों तक पेशाब सिर में लगाए रखी, लेकिन इससे भी कोई फायदा नहीं मिला। इसके बाद अनुपम ने दोबारा बाल उगाने की उम्मीद छोड़ दी और गंजेपन के साथ ही फिल्मों में जगह बनाई। ये किस्सा, अनुपम ने सालों पहले आप की अदालत में सुनाया था।

पहली फिल्म के लिए महेश भट्ट को दिया था शाप
सालों के संघर्ष के बाद महेश भट्ट ने 29 साल के अनुपम खेर को 1984 की फिल्म सारांश में 65 साल के बुजुर्ग व्यक्ति का रोल दिया था। अपनी डेब्यू फिल्म के लिए अनुपम ने 6 महीने पहले ही बुजुर्ग व्यक्ति की तरह चलना और बोलना शुरू कर दिया। शूटिंग शुरू होने ही वाली थी कि 10 दिन पहले उन्हें एक दोस्त के जरिए पता चला कि राजश्री प्रोडक्शन वालों ने उन्हें फिल्म से निकाल दिया है। उनकी जगह अब संजीव कुमार फिल्म में रहेंगे।

1984 में रिलीज हुई फिल्म सारांश अनुपम की पहली फिल्म थी।

ये सुनते ही अनुपम ने सीधे महेश भट्ट को कॉल किया, तो जवाब मिला कि वो किसी न्यूकमर को लेकर रिस्क नहीं ले सकते। इस रिजेक्शन से वो बुरी तरह टूट गए और उन्होंने मुंबई छोड़कर जाने का मन बना लिया। जाने से पहले अनुपम खेर, महेश भट्ट से मिलने पहुंचे।

मिलते ही अनुपम ने महेश पर चिल्लाना शुरू कर दिया। उन्होंने कहा, ‘आप बहुत बड़े धोखेबाज हैं, आखिरी समय पर कोई किसी को फिल्म से कैसे निकाल सकता है। मैं एक ब्राह्मण व्यक्ति हूं और आपको शाप देता हूं।’

अनुपम खेर को गुस्से में देखकर महेश भट्ट इतने इम्प्रेस हुए कि उन्होंने संजीव कुमार की जगह उन्हें ही दोबारा कास्ट कर लिया। ऐसा इसलिए भी हुआ क्योंकि फिल्म सारांश में अनुपम को एक ऐसे व्यक्ति का रोल दिया जाना था, जो विदेश में हुई बेटे की मौत के बाद कस्टम वालों से उसकी अस्थियां लेने के लिए जद्दोजहद करता है।

फिल्म सारांश रिलीज होते ही एक हफ्ते में साइन की थीं 57 फिल्में
फिल्म सारांश 25 मई 1984 को रिलीज हुई थी। फिल्म में बेहतरीन अभिनय की बदौलत अनुपम खेर को महज एक हफ्ते में ही 57 फिल्मों के ऑफर मिले। क्रिटिक्स की तारीफों के साथ-साथ फिल्म के लिए उन्हें फिल्मफेयर बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड भी मिला था।

आगे उन्होंने तेजाब (1988), डैडी (1989), राम लखन (1989), निगाहें (1989) जैसी सुपरहिट फिल्मों में काम कर खुद को 80-90 के दौर के बेहतरीन सपोर्टिंग एक्टर्स में शुमार कर लिया।

जब आमिर खान ने की थी अनुपम की एक्टिंग की शिकायत
साल 1991 की फिल्म दिल है कि मानता नहीं में अनुपम खेर को आमिर खान और पूजा भट्ट के साथ कास्ट किया गया था। एक दिन सेट पर आमिर खान ने अनुपम खेर को एक्टिंग करते देखा और सीधे जाकर महेश भट्ट से शिकायत कर दी। उन्होंने कहा कि अनुपम बहुत लाउड एक्टर हैं, सीन खराब हो जाएगा। हालांकि, महेश भट्ट ने उनकी शिकायत पर कोई ध्यान नहीं दिया और अनुपम को मन मुताबिक काम करने दिया। इस फिल्म के लिए अनुपम को बेस्ट कॉमेडियन का नॉमिनेशन मिला था।

फिल्म विजय के लिए अनुपम ने बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर, फिल्म डैडी के लिए बेस्ट एक्टर क्रिटिक और राम लखन के लिए बेस्ट कॉमेडियन का अवॉर्ड जीता था।

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